आजादी का अर्थ है -
विकास के पथ पर आगे बढकर देश और समाज को ऐसी दिशा देना, जिससे हमारे देश की
संस्कृति की सोंधी खुशबू चारों ओर फैल सके. लेकिन आज हमारी युवा पीढ़ी
आजादी के सही मायने भूलती जा रही है. युवा लोग पाश्चात्य संस्कृति से
अत्यधिक प्रभावित हो रहे हैं. आज हमें अपनी आजादी का सदुपयोग करते हुए समाज
और देश को विकास के पथ पर ले जाना चाहिए.
क्या यही है आजादी- आज बेटी-बेटे को समानता का दर्जा दिया जाता है, लेकिन समाज का माहौल देखते हुए लडकियों की सुरक्षा की दृष्टि से माता-पिता उनकी आजादी की सीमाएं तय कर देते हैं, जो कि किसी दृष्टि से गलत नहीं है. यही बात बेटों पर भी लागू होती है. उन्हें भी अनुशासित करने के लिए समय-समय पर उनकी आजादी की सीमाएं तय करना बहुत जरूरी है. आजादी में संतुलन बहुत जरूरी है.
क्या यही है आजादी- आज बेटी-बेटे को समानता का दर्जा दिया जाता है, लेकिन समाज का माहौल देखते हुए लडकियों की सुरक्षा की दृष्टि से माता-पिता उनकी आजादी की सीमाएं तय कर देते हैं, जो कि किसी दृष्टि से गलत नहीं है. यही बात बेटों पर भी लागू होती है. उन्हें भी अनुशासित करने के लिए समय-समय पर उनकी आजादी की सीमाएं तय करना बहुत जरूरी है. आजादी में संतुलन बहुत जरूरी है.
आज एक
जुर्म करने के लिए एक अमीर आदमी को तो कुछ घंटों की सजा या फिर बिना सजा के
ही छोड़ दिया जाता है लेकिन एक गरीब आदमी को छोटे से छोटे जुर्म या कभी-कभी
जो जुर्म उसने किया भी ना हो उसकी सजा भी मिल जाती है.
Whats Freedom for Youth: युवाओं के लिए आजादी
वर्षों की
गुलामी सहने और लाखों देशवासियों का जीवन खोने के बाद हमने यह बहुमूल्य
आजादी पाई है. लेकिन आज की युवा पीढ़ी आजादी का वास्तविक अर्थ भूलती जा रही
है. पश्चिमी संस्कृति का अनुसरण कर वह अपनी सभ्यता, संस्कृति और विरासत से
दूर होती जा रही है. इस संदर्भ में किसी कवि ने खूब लिखा है कि:
“भगतसिंह इस बार न लेना, काया भारतवासी की
क्यूंकि देशभक्ति के लिए आज भी सज़ा मिलेगी फांसी की”
क्यूंकि देशभक्ति के लिए आज भी सज़ा मिलेगी फांसी की”
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