Saturday, 23 August 2014

वृक्षारोपण का महत्व

वृक्षारोपण का महत्व

आज की दुनिया समस्याओं से घिरी हुई है। इन समस्याओं में सबसे बड़ी समस्या है प्राणी, संसार और वनस्पति जगत के बीच बिगड़ता हुआ संतुलन। आबादी की बेतहाशा बढ़ोतरी ने इस संतुलन को बिगाड़ा है और हमारे लिए आर्थिक और स्वास्थ्य सम्बन्धी अनेक समस्याएं उत्पन्न कर दी हैं।

जंगलों के कटते रहने से मानव-सभ्यता को खतरा पैदा हो गया है। मौसम में काफी परिवर्तन आ गया है। धरती के कुछ भागों में या तो लगातार कई वर्ष तक सूखा पड़ जाता है या फिर भयंकर बाढ़ आ जाती है।

वन और पानी अक्षय-स्त्रोत होते हैं, जब ये नहीं रहते हैं तो सदा बहने वाली नदियां सूख जाती हैं, बांधों में पानी का स्तर घट जाता है, बिजली का उत्पादन रुक जाता है तथा नहरों में पानी कम हो जाता है। इससे अनाज कम उत्पन्न होता है और उद्योगों के लिए संकट पैदा हो जाता है।

इस भयानक स्थिति का सामना करने के लिए आबादी को कम करने के साथ-साथ वृक्षारोपण के अभियान को भी युद्ध-स्तर पर चलाने की आवश्यकता है।

वृक्ष न केवल धरती को उपजाऊ बनाते हैं बल्कि हमारे जीवन में भी चैतन्यता उत्पन्न करते हैं। यदि हम अपनी सभ्यता और संस्कृति की रक्षा करना चाहते हैं तो हमें न केवल अधिक से अधिक वृक्ष लगाने चाहिए बल्कि उनका पालन-पोषण और रक्षण भी करना चाहिए।

वृक्ष हमारे लिए क्या कुछ नहीं करते, ये देखने में सुन्दर लगते हैं तथा हवा को शुद्ध रखते हैं, मौसम की कठोरता को कम करते हैं और विषैली गैसों को समाप्त करते हैं। वृक्ष हमें कई प्रकार के लाभ पहुंचाते हैं। हवा, पानी और मिटटी का प्रदूषण वृक्षों की बढ़ोतरी से ही दूर हो सकता है।

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